रविवार, 8 सितंबर 2013

एक दीवाना ऐसा भी



देखा हमने एक दीवाना ऐसा, बेपनाह रोते हुये
एक आश दिल मे लिये, अश्रु मोती खोते हुये

पूछा हमने सबब रोने का, उसे मनाते हुये
राज़ खोला उसने, हमको ये समझाते हुये

वादा किया है सनम ने, आज आने का ख्वाब मे
भीग न जाये दामन उनका, अश्कों के तालाब मे

अश्कों की किश्मत है, आज नही तो कल बहना है
बहाकर इन्हे जगह बना लुं, उन्हे सुबह तक रहना है

अश्क तो मेरे अपने है, कल फिर भर आयेंगे
जगह नही थी अखियों मे, वो तो न कह पायेंगे

इश्क की पहली आजमाइश मे, उन्हे नही खोना है
गर आये न वो ख्वाब मे, तब भी तो मुझे रोना है

सुरेश राय सुरS

(चित्र गूगल से साभार )

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