सिर तुम हमारा काट ले गये,
सिर हमने झुकाया तो नही
पीठ पीछे वार किया तुमने,
सामने से हमे आजमाया नही
शेर हैं हम माँ भारती के,
गीदड़ सा जीना हमे आया नही
करते हैं सम्मान संविधान का हम,
सेना का ध्वज संसद मे लहराया तो नही
कहते है हम जो, करते है वही,
दोगलों मे नाम हमारा आया तो नही
शौर्य है परंपरा हमारी,
बुजदिली का तमगा हमने लगवाया तो नही
है गवाह इतिहास भी इस बात का,
बढ़ गये कदम जो आगे, पीछे उन्हे लौटाया नही
सीमा शर्तो का रखते है मान हम,
सीज फायर का उलंघन हमे कभी भाया नही
दे सकते है तेरी हर गफलत का जबाव ,
एक इशारा दिल्ली से अभी पाया तो नही.
अब सोच ले तू, जान कितनी तेरी मुश्किल मे है
सरफरोशी की तमन्ना फिर हमारे दिल मे है. . .
सुरS
Very good, kavita banata raho.
जवाब देंहटाएंthanks for appreciation sir
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