सिर्फ प्रतीक पुतलों को न जलाया जाये
सदियाँ बीती मिट सकी न बुराई अब तक
इस बार अंदर के रावण को जलाया जाये
विजयादशमी उत्सव मात्र नही एक प्रतीक हो
बुराई पर अच्छाई की जीत की एक सीख हो
अंत बुरा ही होता है हर एक बुराई का जग मे
यही संदेश पाये जो इस उत्सव मे शरीक हो
सुरेश राय 'सरल'
(चित्र गूगल से साभार )
सुन्दर सन्देश देती रचना ... सच कहा है केवल प्रतीक नहीं ... बुराई के रावण को जलाना जरूरी है ...
जवाब देंहटाएंविजय दशमी की बधाई ...
हार्दिक आभार माननीय नासवा जी ,
हटाएंआओ दशहरा मनाएँ
मन की बुराई जलाएं
सादर
सुरेश राय
पहली बार आना हुआ,आपने सच कहा रावण के पुतलों को जलने से बेहतर है की अन्दर के रावण को जलाया जाय. धन्यबाद आपका .
जवाब देंहटाएंसम्मानित राजेंद्र जी , आपका हार्दिक स्वागत है जो आप यहाँ पधारे ।
हटाएंबदलेगा तभी ये सारा परिवेश
जलाएंगे जब मन का लंकेश
सादर
सुरेश राय
सुन्दर सन्देश देती रचना !!
जवाब देंहटाएंसंजय भास्कर
शब्दों की मुस्कुराहट
http://sanjaybhaskar.blogspot.com
बहुत बहुत धन्यवाद संजय जी
हटाएंवाकई मात्र पुतलों को ही क्यों जलाएं बुराई के असल बुरे प्रतीकों को भी जलाए। सुन्दर।
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार माननीय Vikesh Badola जी
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