रविवार, 13 अक्तूबर 2013

कर्म अपने जो रावण ने सुधारा होता


कर्म अपना जो रावण ने सुधारा होता
वंश का नाश उसे गर ना गवारा होता
पैर अंगद के भी यूं ही वह हिला देता
मन मे भी अगर राम को पुकारा होता
सुरेश राय 'सरल'

(चित्र गूगल से साभार )

8 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति, विजयादशमी की हार्दिक मंगलकामनाएँ।

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    1. आदरणीय राजेंद्र जी , आपका हार्दिक अभिनंदन एवं आभार । आपको भी सपरिवार दशहरा की मंगलकामनाएं

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  2. सम्मानित सरिता जी , चर्चामंच मे स्थान देने हेतु मैं आपका हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ

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  3. आपको भी सपरिवार दशहरा की मंगलकामनाएं।
    सादर
    सुरेश राय

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  4. बहुत सुंदर। अहंकार को त्याग कर गर होता पुकारा राम नाम।

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  5. कर्म अपने की जगह कर्म अपना कर लें। बहुत बढ़िया बात।

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