मान चिंगारी मुझे तुम,हौसलों की हवा देना. पर बेरुखी की धूल से,मुझको न दबा देना. आप का अभिनंदन है.आप के आशीष,स्नेह और प्रोत्साहन को टिप्पणी मे प्रकट करने की कृपा करें
सटीक मुक्तक....
आदरणीय "रूपचन्द्र शास्त्री मयंक" जी, आप को रचना पसंद आई, मेरे प्रयास को हौसला मिला. सह्रदय आभार आपका
देश का क़ानून यही है ... इसको बदलें सब मिल के तो बात बने ...
बड़ा फायदा ही फायदा है इस खेल मैंकरोड़ों डालो जेब में ,चन्द साल जेल में सुर
क़ृपया शब्दों की गलती पर भी धयान दें। घौटालों को घोटालों कर लें। इसमे को इसमें कर लें।
सुन्दर रचना।। नई कड़ियाँ : मेरी भोपाल यात्रा (पहला दिन) - श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर, भोपालअपने ब्लॉग और वेबसाइट को सर्च इंजन में फ्री सबमिट करे।
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जवाब देंहटाएंआदरणीय "रूपचन्द्र शास्त्री मयंक" जी, आप को रचना पसंद आई, मेरे प्रयास को हौसला मिला. सह्रदय आभार आपका
हटाएंदेश का क़ानून यही है ... इसको बदलें सब मिल के तो बात बने ...
जवाब देंहटाएंबड़ा फायदा ही फायदा है इस खेल मैं
हटाएंकरोड़ों डालो जेब में ,चन्द साल जेल में
सुर
क़ृपया शब्दों की गलती पर भी धयान दें। घौटालों को घोटालों कर लें। इसमे को इसमें कर लें।
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना।।
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