बुधवार, 2 अक्तूबर 2013

पुरखों का ॠण




पुरखों का ॠण पितृपक्ष मे यूं उतार दो
कागों को भोज अर्घ मे जल की धार दो
मिलेगी संतृप्ति उनको आशीष आपको
गर घर के जिन्दा बुजुर्गों को भी प्यार दो
सुरेश राय 'सरल'

(चित्र गूगल से साभार )

1 टिप्पणी:

  1. वाह क्‍या बात कही है आपने। गर घर के जिन्‍दा बुजुर्गों को भी प्‍यार दो..............

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