मान चिंगारी मुझे तुम,हौसलों की हवा देना.
पर बेरुखी की धूल से,मुझको न दबा देना.
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उन्माद मे न बहको यूं शाज़िशों मे फस
हो सके तो बाँटों सभी मे सौहार्द का मधुरस
सांप्रदायिकता की डोरी को कसो न तुम ऐसे
फूट पडे लहूधार जो फट जायें नस नस
सुरS
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