उन बिन जीवन ऐसी बगिया, जहाँ एक भी फूल न हो
जिस दुआ मे नही वो शामिल, वो दुआ मेरी कबूल न हो
कलियों को उनकी राह बिछाउं, जिसमे एक भी शूल न हो
उनके लिये वहाँ घर बनाउं, जहाँ गली मे उडती धूल न हो
कर्ज सा हो उन पर मेरा प्यार, ब्याज बढ़े, कम मूल न हो
किश्ते वो सदा पूरी चुकायें, जीवन भर कर्ज वसूल न हो
विश्वास की डोर मे बंधे रहें हम, फरेब उनका उसूल न हो
समर्पण पुष्प से भरा हो दामन, स्वार्थ का उसमें बबूल न हो
सुरS
hardik sadhubad roy sir. me samzha nahi verification hatane ke baare me
जवाब देंहटाएंकुछ तो है इस कविता में, जो मन को छू गयी।
जवाब देंहटाएंसंजय भास्कर
शब्दों की मुस्कुराहट
http://sanjaybhaskar.blogspot.com
सम्मानित संजय भास्करजी, हार्दिक आभार आपका
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